अधिकांश लोग भगवान शिव के दो ही पुत्रों के बारे में ज्यादा बात करते हैं। पहले हैं कार्तिकेय और दूसरे हैं श्रीगणेश। मगर कोई आपसे कहे कि महादेव के तीसरे पुत्र भगवान अयप्पा थे तो शायद पहली बार में आप यकीन नहीं कर पाएंगे। मगर दक्षिण की लोकमान्यताओं के आधार पर अयप्पा को भोलेनाथ का ही पुत्र माना जाता है।
जी हां, अयप्पा को महादेव और मोहनी का पुत्र ही बताया जाता है। माना जाता है कि उन दोनों ने एक विशेष कारण के लिए इस बच्चे की योजना बनाई थी। भगवान अयप्पा का मंदिर केरल में है। जहां हर साल लाखों श्रद्धालु जाते हैं। हालांकि अयप्पा से जुड़ी कहानी भी बेहद रोचक है।
आज हम आपसे इसी विषय पर बात करने वाले हैं। तो फिर देर किस बात की है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
कौन हैं अयप्पा
भगवान अयप्पा, हिंदू देवता हैं। इन्हें अय्यप्पन, हिरहरपुत्र और मणिकांता के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण में कई जगह इनके मंदिर हैं। मुख्य रूप से इनका मंदिर केरल में है।
जन्म की कहानी
दक्षिण की लोकमान्यताओं के अनुसार अयप्पा को भगवान शिव और मोहनी का पुत्र माना जाता है। कहा जाता है कि शिव और विष्णु ने एक विशेष योजना के लिए अयप्पा को जन्म दिया था।
महिषासुर और भस्मासुर से जुड़ी है कहानी
जब भस्मासुर को वरदान मिला कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वो भस्म हो जाएगा तो भस्मासुर भगवान शिव के ही पीछे पड़ गया। तब फिर शिव जी ने विष्णु जी से सहायता मांगी थी।
मोहिनी बने भगवान विष्णु
तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और भस्मासुर के सामने आ गए। मोहनी के आकर्षण से आकर्षित होकर भस्मासुर ने उनके लिए प्रेम जताया। इस पर मोहिनी ने कहा कि, 'अगर आप मुझसे प्रेम करते हैं तो सिर पर हाथ रखकर कसम खाइए।' बस फिर क्या था। भस्मासुर ने बिना देर किए सिर पर हाथ रख लिया। आखिरकार वो खुद ही भस्म हो गया। हालांकि एक कथा यह भी है कि भस्मासुर ने अपने सिर पर हाथ मोहिनी के साथ नृत्य करते हुए गलती से रख लिया था।
अयप्पा का जन्म
जब भस्मासुर भस्म हो गया तो मोहिनी के रूप को देखकर भगवान शिव ही आकर्षित हो गए। आखिरकार इस तरह हुआ भगवान अयप्पा का जन्म। मगर दूसरी कहानी तो कुछ और ही बताती है। आइए वो भी जानते हैं।
क्या कहती है दूसरी किवदंती
दुर्गा ने जब महिषासुर का वध कर दिया तो उसकी बहन महिषी ने ब्रम्हा की तपस्या की। इसके बाद उसने ब्रह्मा से वरदान मांगा कि भगवान शिव और विष्णु के बेटे को छोड़कर कोई भी उसे मार नहीं सकता। वह जानती थीं कि शिव और विष्णु दोनों नर देवता हैं। ऐसे में वो कभी बच्चे पैदा कर नहीं सकते।
विष्णु ने रखा रूप
दक्षिण की किवदंतियों के अनुसार महिषी का वध करने के लिए विष्णु ने मोहनी का रूप रखा। इसके बाद शिव और मोहिनी से अयप्पा का जन्म हुआ। बाद में उन्होंने महिषी का वध किया। हालांकि यह सिर्फ लोकमान्यता है।
भगवान अयप्पा की बात
केरल में स्थित अयप्पा मंदिर को सबरीमाला के नाम से जाना जाता है। सबरीमाला मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है। उनका आशीर्वाद लेने यहां देशभर से लोग आते हैं।
कड़े हैं नियम
सबरीमाला आने वाले तीर्थयात्रियों को ब्रह्मचर्य का सख्त पालन करना होता है। 41 दिन की परंपरागत अवधि के लिए मांस और शराब से दूर रहना होता। तीर्थयात्रियों को नंगे पांव पहाड़ी की चोटी पर चढ़ना होता है। मंदिर वहां स्थित है।
इस बीच आते हैं श्रद्धालु
इस मंदिर में लोग नवम्बर से जनवरी के बीच आते हैं। जनवरी के मकरसंक्रांति में यात्रा सम्पन्न होती है।
इतना आया था चढ़ावा
नवभारतटाइम्स के अनुसार भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर का 2016-17 का कुल राजस्व संग्रह 243.69 करोड़ रुपए था। केरल के मंत्री कडकमपल्ली सुरेन्द्रन ने विधानसभा में आज यह जानकारी दी थी।
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