अक्सर मैंने लोगों को ये कहते सुना है कि आधुनिक समाज पुरुष तथा महिलाओं में कोई फर्क नहीं करता है। इस आधुनिक दौर में महिलाएँ तो पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। लेकिन क्या आपको भी ऐसा लगता है कि वाकई में ऐसा होता है? पुरुषों की तरह महिलाओं को भी उन्हीं नजरों से देखा जाता है? शायद नहीं, क्योंकि हमारे समाज में आज भी ऐसी दकियानूसी सोच पनपती है जो किसी न किसी तरीके से महिलाओं को पीछे धकेलती है।
महिलाओं में होने वाला मासिक धर्म या पीरियड्स भी ऐसी ही एक सोच का उदाहरण है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को समाज से ऐसे अलग कर दिया जाता है, जैसे वो कोई अछूत हों। यकीनन पुराने समय में और आज के समय में बहुत बदलाव आया है। अब लोग पहले की तुलना में महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करते हैं। अभी भी कई लोग ऐसे हैं जो पीरियड्स के नाम पर महिलाओं को दकियानूसी रिवाजों में बांधने की कोशिश करते हैं।
दरअसल इन बातों के पीछे कुछ पौराणिक मान्यताएँ हैं। आइये आपको उनके बारे में कुछ बताते हैं।
महिलाओं की चुप्पी
दरअसल इस दकियानूसी सोच की एक वजह महिलाएँ ख़ुद भी हैं। वो कभी इस मुद्दे पर खुलकर बात नहीं करती हैं। और तो और मासिक धर्म, सेक्स जैसे मामलों पर अक्सर बात करने से कतराती भी हैं। यही कारण है कि पौराणिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों को उनके ऊपर थोप दिया जाता है।
इंद्र देव की कहानी
एक बार 'गुरु बृहस्पति', इंद्र देव से बहुत नाराज हो गए थे। इसका फायदा उठाकर असुरों ने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। इसी वजह से इंद्र देव को अपनी गद्दी छोड़कर भागना पड़ा था। असुरों से खुद को बचाते हुए जब वो सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी के पास पहुँचे और उनसे मदद माँगने लगे।
तब ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया...
ज्ञानी की सेवा
सृष्टि रचनाकार ब्रह्मा ने उन्हें बताया कि इंद्र को एक ब्रह्म ज्ञानी की सेवा करनी चाहिए। यदि वह प्रसन्न हो गए तो उन्हें उनकी गद्दी वापस मिल जाएगी। ब्रह्माजी के कहे अनुसार इंद्रदेव ज्ञानी की सेवा में लग गए। वे इस बात से अनजान थे कि उस ज्ञानी की माता असुर थीं, जिसकी वजह से असुरों को लेकर उस ज्ञानी के मन में अधिक लगाव था।
गुरु हत्या का पाप
असुरों के लिए अधिक लगाव रखने वाले ज्ञानी, इंद्रदेव द्वारा दी गई हवन सामग्री देवताओं की बजाय असुरों को अर्पित करते थे। इसका पता इंद्रदेव को लग गया तो उन्होंने क्रोधित होकर उस ज्ञानी की हत्या कर डाली। एक गुरु की हत्या करना घोर पाप था, इसलिए उन पर ब्रह्म हत्या का पाप आ गया। इससे बचने के लिए वे एक साल तक फूल की कली में छुपे रहे और भगवान विष्णु की तपस्या की।
तपस्या से खुश होकर दिया वरदान
तपस्या से खुश होकर भगवान विष्णु ने इंद्रदेव को बचा लिया। साथ ही उन पर लगे पाप की सजा से मुक्ति के लिए एक सुझाव भी दिया। इसके लिए इंद्रदेव को पेड़, भूमि, जल और स्त्री में अपना थोड़ा-थोड़ा पाप बाँटना था, साथ ही उन्हें एक वरदान भी देना था।
पेड़ को मिला पाप
सबसे पहले पेड़ ने उस पाप का एक चौथाई हिस्सा ले लिया, जिसके बदले में इंद्र ने उन्हें वरदान दे दिया। पेड़ चाहे तो स्वयं ही अपने आप को जीवित कर सकता है।
जल को मिला चौथाई हिस्सा
इसके बाद जल को पाप का हिस्सा देने के बदले इंद्रदेव ने उसे अन्य वस्तुओं को पवित्र करने की शक्ति प्रदान की। इसी वजह से हिन्दू धर्म में जल को पवित्र मानते हुए पूजा-पाठ में इस्तेमाल किया जाता है।
भूमि में भी बँटा पाप
तीसरा पाप इंद्र देव ने भूमि को दिया और इसके बदले यह वरदान दिया कि उस पर आई चोट हमेशा भर जाएगी। इसके बार आखिरी बारी नारी की थी।
पाप के रूप में मिला मासिक धर्म
इस प्रकार स्त्री को भी पाप का एक हिस्सा मिला, जिसके फलस्वरूप उन्हें हर महीने मासिक धर्म होता है। इसके बदले इंद्र ने महिलाओं को ये वरदान भी दिया कि पुरुषों की तुलना में महिलाएँ काम का आनंद ज्यादा अच्छी तरह ले पाएँगी।
गुरु हत्या का पाप भोग रही हैं महिलाएँ
इसी वजह से महिलाओं को हर महीने यह दर्द भोगना पड़ता है।
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