'नर्क' के बारे में बहुत सी बातें मशहूर हैं। जैसे 'नर्क' में जाने पर भूतों और राक्षसों का सामना करना पड़ता है। अगर आपने ज्यादा पाप किए हैं तो आपको गरम तेल से भरी कढ़ाई में भजिए की तरह तला जाता है। कांटों के बिस्तर पर सुलाया जाता है। और भी ना जाने क्या-क्या। मगर हम सब इन बातों को मजाक ही समझते हैं। एकाएक यह मानने लगते हैं कि यह तो सब कहने की बातें हैं।
मगर जरा सोचिए, अगर वाकई वहां ऐसा होता हो तो? कई बारे जाने-अनजाने हमसे भी कुछ पाप हो जाते हैं। इसका हिसाब हमें 'नर्क में जाकर चुकाना पड़ सकता है। ऐसे में अच्छा यही रहेगा कि आप समय रहते ही ऐसे कर्मों का प्रायश्चित कर लें।
'नरक चौदस' का दिन इन बातों के लिए उत्तम माना गया है। अगर आपने भी छोटे-मोटे पाप कर रखे हैं तो आज हम आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। 'नरक चौदस' के दिन यह उपाय करने से शायद आप भी नरक में जाने से बच जाएंगे।
अब ज्यादा सोचिए मत। तुरंत यह उपाय पढ़ लीजिए।
'लक्ष्मी' का वास, 'नर्क' का विनाश
'दिवाली' आने पर सभी लोग अपने घरों की सफाई करने लगते हैं। असल में इसके पीछे मान्यता यह है कि लक्ष्मी जी का वास वहीं होता है, जहां पर साफ-सफाई और सुंदरता हो।
भिन्न-भिन्न सजावट
गंदगी को 'नर्क' का पर्याय भी माना जाता है। इसी वजह से घरों में पेंट करवाने और तरह-तरह की चीजों से सजावट करने की परंपरा है। कुल मिलाकर देवी लक्ष्मी खुश हो जाएं और हमें 'नर्क' ना भोगना पड़े।
आगे जानिए कौन से उपाय कर बच सकते हैं 'नर्क' में जाने से।
आगे जानिए कौन से उपाय कर बच सकते हैं 'नर्क' में जाने से।
'नरक चौदस'
हम आपको विस्तार से बता दें कि 'धनतेरस' का अगला दिन 'नरक चौदस' के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है।
दीपदान की प्रथा
इस दिन रात के समय 14 दीपक जलाने की परंपरा है। यदि तिल के तेल का दीपदान किया जाता है तो इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और पापों से छुटकारा मिलता है।
तेल और उबटन से कैसे करें यमदेव को प्रसन्न, आगे जानिए।
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तेल से मालिश
'नरक चौदस' के दिन प्रातः काल तेल से मालिश कर अपामार्ग की पत्तियों को जल में डालकर नहाने से 'नर्क' में भोगी जाने वाली पीड़ा से मुक्ति मिलती है। इस दिन को 'रूप चौदस' भी कहा जाता है।
उबटन से निखारे सौंदर्य
इस दिन महिलाओं के लिए उबटन से नहाने का भी रिवाज है। ऐसा माना जाता है कि 'नरक चौदस' पर उबटन से नहाने से पूरे साल आपकी सुंदरता बनी रहती है। इससे यम देवता भी प्रसन्न होते हैं।
श्रीकृष्ण और 'नरक चौदस' से जुड़ी एक कहानी, आगे जानिए।
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श्रीकृष्ण के दर्शन
'नरक चौदस' के दिन श्रीकृष्ण और विष्णु जी के दर्शन करने को भी विशेष फलदाई माना गया है। इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है।
आइये जानते हैं आगे।
नरकासुर का वध
दरअसल इस दिन श्रीकृष्ण ने दुराचारी राक्षस नरकासुर का वध किया था। 16 हजार महिलाओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त करवाया था।
दीये जलाने की प्रथा
बंदी गृह से मुक्ति दिलाने के बाद श्रीकृष्ण ने उन महिलाओं को उनका सम्मान भी वापस दिलवाया। इसी उपलक्ष्य में दीये प्रज्वल्लित करने की परंपरा बनाई गई है।
चार दिशाओं वाला दीपक
अतः इस दिन शाम के समय चार बत्तियों वाला दीपक जलाएं और पीले वस्त्र धारण करके पूजा में बैठें। इन सब बातों का ध्यान रखने से अकाल मृत्यु की आशंका तो दूर होती ही है मगर 'नर्क' से भी छुटकारा मिलता है।
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