किसी शादीशुदा जोड़े की जिंदगी में कई खास दिन होते हैं। इनमें से एक 'करवा चौथ' भी है। महिलाओं के लिए यह दिन दीवाली या राखी जैसे किसी बड़े त्यौहार से कम नहीं होता है। यह व्रत पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती है। वो सुबह से लेकर रात तक पानी की एक बूंद भी नहीं पीती है। फिर रात में चांद और पति को छलनी से देखकर अपना व्रत तोड़ती है। वो पति ही होता है जो अपनी पत्नी को पानी की पहली बूंद पिलाता है।
करवा चौथ से जुड़ी ये बातें तो आम हैं। आपको भी ये सभी बातें पता होंगी। बचपन से ही हम टीवी सीरियल्स और फिल्मों में 'करवा चौथ' के कई सेलिब्रेशन देखते आ रहे हैं। ऐसे में ये कुछ बातें हमारे दिमाग में बस गई है। लेकिन हम आपको बता दें कि 'करवा चौथ' के बारे में और भी कई बातें हैं जो आपको जानना चाहिए।
आज हम कुछ ऐसी ही बातें आपके लिए लेकर आए हैं। बिना देर किए बस आप इन्हें पढ़ लीजिए।
कब आता है 'करवा चौथ'?
यह हिन्दू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को मनाया जाता है। चतुर्थी के दिन चाँद पूरे शबाब पर होता है। यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में देखने को मिलता है, पर अब इसे देशभर की हिन्दू महिलाएं भी मनाने लगी हैं।
इनकी होती है पूजा
'करवा चौथ' पर केवल चाँद की ही पूजा नहीं की जाती है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव, माँ पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की भी पूजा करती हैं। यह माना जाता है कि इन सबके आशीर्वाद से उनके पति व परिवार को सुख-समृद्धि और अच्छे भाग्य की प्रप्ति होती है।
इन दो चीजों के बिना अधूरा है 'करवा चौथ'।
सरगी का है बहुत महत्व
इस व्रत की शुरुआत में सरगी का बहुत महत्व होता है। इस व्रत की शुरुआत ही सरगी से होती है। सरगी सास अपनी बहू को देती है। इसमें मिठाइयों, फल और पकवानों के साथ ही कपड़े, तोहफे और शृंगार का समान भी होता है। महिलाएं व्रत वाले दिन अलसुबह लगभग 4 बजे के करीब सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं।
बया भी बहुत ख़ास
सरगी की तरह ही बया का भी बहुत महत्व होता है। माँ अपनी बेटी और उसके परिवार के लिए पूजा वाले दिन बया भेजती है। इसमें मिठाइयां, सूखे मेवे और तोहफे होते हैं। इस बया थाली का उपयोग पूजा में किया जाता है।
'करवा चौथ' से जुड़ी यह कहानी है मशहूर।
रानी वीरवती की कहानी
बहुत समय पहले की बात है। वीरवती नाम की एक बहुत सुन्दर राजकुमारी की शादी एक राजा से हो जाती है। अपने पहले 'करवा चौथ' के लिए वो अपने मायके आती है। वो सुबह से बिना कुछ खाये पिए, पूरी श्रद्धा से व्रत करती है। पर उसके सात भाई उसे भूखा देखकर नकली चाँद दिखाकर उसका व्रत तुड़वा देते हैं। पार्वती जी के श्राप के फलस्वरूप राजा की मृत्यु हो चुकी होती है। रानी के मनाने पर पार्वती जी उसके पति को जिन्दा तो कर देती हैं पर वो बीमार रहता है। रानी जब घर पहुँचती है तो राजा के शरीर पर कई सौ सुइयां घुसी होती हैं।
रोली की हो गई गोली, गोली की हो गयी रोली
वो हर रोज एक सुई निकालती है और एक साल बाद 'करवा चौथ' के दिन एक आखिरी सुई बचती है। वह दोबारा श्रद्धा से व्रत करती है। पर गलती से उसकी जगह एक नौकरानी वो सुई निकाल देती है और राजा उसे रानी समझ लेता है। वीरवती को अब नौकरानी की तरह रहना पड़ता है। पर वो हमेशा पूरी श्रद्धा से व्रत करती है। एक बार राजा उसके कहने पर एक गुड़िया लाता है। रानी इन्हें लेकर रोली की गोली हो गयी, गोली की रोली हो गयी गाती रहती है। राजा के इस तरह गाने का कारण पूछने पर वो पूरी कहानी बताती है और सबकुछ ठीक हो जाता है। इस तरह रानी अपनी श्रद्धा-भक्ति और विश्वास के बल पर पति का प्यार और माँ पार्वती का आशीर्वाद पा लेती है।
महाभारत से जुड़ी है अगली कहानी।
महाभारत काल में भी होता था व्रत
माना जाता है कि महाभारत काल में द्रौपदी ने भी पांडवों के लिए यह व्रत किया था। उन्होंने यह व्रत तब किया था जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत गए थे और पांडव समस्याओं से गुजर रहे थे। द्रोपदी के इस व्रत के फलस्वरुप ही पांडवों की मुश्किलें दूर हुई थी।
गौरी की होती है आराधना
अब अगर 'करवा चौथ' की पूजा की बात करें तो महिलाएं गाय के गोबर की सहायता से गौरी (पार्वती जी) की मूर्ति बनाती हैं और शाम को इसे मध्य में रखकर इसकी आराधना करती हैं।
आगे जानिए आराधना की प्रक्रिया।
इस तरह की जाती है पूजा
अधिकतर महिलाएं साथ मिलकर ही यह पूजा करती हैं। गौरी माँ या माँ पार्वती की मूर्ति मध्य में रखकर उनकी पूजा की जाती है। कोरे करवे में पानी भरा जाता है और इस पर लाल धागा भी बाँधा जाता है और पूजा की जाती है। वृद्ध महिलाएं व्रत की कहानी सुनाती हैं। इस कहानी के दौरान महिलाएं अपनी बया थालियों को एक-दूसरे को देते हुए घुमाती हैं।
मेहंदी का भी महत्व
'करवा चौथ' के बारे में एक खास बात यह भी है कि एक दिन पहले ही महिलाएं अनिवार्य रूप से हाथों में मेहंदी भी रचाती हैं। यह इसलिए कि मेहंदी को सुहाग की निशानी माना जाता है। इसके साथ इस दिन 16 श्रृंगार का भी काफी महत्व होता है। इसमें बिंदी, चूड़ी, पायल, बिछिया, साड़ी, जैसी चीजें आती हैं। इसके साथ ही इस दिन लाल रंग की साड़ी का भी बहुत महत्व होता है।
ये थी करवा चौथ से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें। आप अपने साथियों को भी इन तथ्यों के बारे में जरूर बताइएगा।
No comments:
Post a Comment