जब से बॉलीवुड फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली ने अपने सबसे चर्चित प्रोजेक्ट 'पद्मावती' पर काम करना शुरू किया है, तब से ही किसी ना किसी वजह से आए दिन ये फिल्म चर्चा का विषय बनी रहती है। हाल ही में जब करणी सेना के कुछ लोगों ने रानी पद्मावती की रंगोली बिगाड़ कर तोड़-फोड़ मचाई थी तो 'पद्मावती' का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने उन लोगों के लिए सोशल मीडिया पर जमकर अपनी भड़ास निकाली थी।
खैर! अब मामला ठंडा पड़ चुका है। मगर क्या वाकई रानी पद्मावती की ज़िंदगी में इतने ज्यादा उतार-चढ़ाव थे कि उसने कहानी का रूप ले लिया। अलाउद्दीन खिलजी का चित्तौड़ पर आक्रमण और जौहर प्रथा के अलावा भी क्या कोई ऐसी बात है जो हम आज भी नहीं जानते हैं। शायद हां। तभी तो फिल्म बनाई गई है।
बहरहाल उसके पहले हम कुछ जानकारियां आपके लिए लेकर आए हैं। आप भी पढ़कर देखिए। आपको यह पसंद आएगी।
रानी पद्मिनी की कहानी
कई दार्शनिकों का मानना है कि पद्मावती तो एक काल्पनिक किरदार है। 1316 में अलाउद्दीन खिलजी की मौत के करीब 200 सालों बाद हिंदी के कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने 1540 में 'पद्मावत' नामक ग्रंथ लिखा था।
'पद्मावत'
मलिक मोहम्मद जायसी के इस ग्रंथ में चितौड़ की रानी पद्मावती की खूबसूरती का बड़े विस्तार से वर्णन किया गया था। इससे ये साबित हुआ कि रानी पद्मिनी उर्फ पद्मावती एक कल्पना नहीं बल्कि असल इंसान थीं।
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श्रीलंकन थीं पद्मावती
'पद्मावत' ग्रंथ में पद्मावती को सिंहला द्वीप की राजकुमारी बताया गया है। चूंकि सिंहला द्वीप सीलोन में स्थित है, जिसे आज श्रीलंका के नाम से जाना जाता है। अतः इस बात की पूरी संभावना है कि पद्मावती भी श्रीलंका की राजकुमारी थीं।
राणा रावल रतन सिंह से पहली मुलाकात
मेवाड़ के राजपूत राणा रावल रतन सिंह की राजकुमारी पद्मिनी से पहली मुलाकात स्वयंवर में हुई थी। राणा रावल रतन सिंह ने स्वयंवर जीतकर पद्मावती से विवाह रचाया था।
विवाह के पहले पद्मावती ने क्यों की थी रतन सिंह से लड़ाई, आगे जानते हैं।
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पद्मावती की लड़ाई
रानी पद्मावती का स्वयंवर भी दिलचस्प तरीके से हुआ। इसमें ये शर्त थी कि जो राजा एक योद्धा को हराएगा, पद्मिनी उसी से विवाह रचाएंगी। मजेदार बात यह थी कि वो योद्धा और कोई नहीं राजकुमारी पद्मिनी स्वयं थीं। राणा रावल रतन सिंह ने पद्मावती को हराकर उनसे विवाह रचाया।
तोते से बात करने में महारत
पद्मावती के पास तोते से बात करने का हुनर था। वो हरी मनी नाम के तोते से बात करती थीं। उस तोते ने ही पद्मावती की खूबसूरती के बारे में चित्तौड़ के राणा रावल रतन सिंह को बताया था।
राज पुरोहित ने ऐसा कौन सा कदम उठाया, जिसने रानी पद्मावती की जिंदगी तबाह कर दी। आगे जानिए।
राज पुरोहित ने ऐसा कौन सा कदम उठाया, जिसने रानी पद्मावती की जिंदगी तबाह कर दी। आगे जानिए।
जब पुरोहित बना दुश्मन
कुछ निजी सूत्रों से जब राजा रतन सिंह को पता चला कि राजघराने के पुरोहित राघव चैतन्य के पास अद्वैत शक्तियां हैं, जिसका वो गलत फायदा उठाता है तो इसके बाद राणा रावल रतन सिंह ने पुरोहित को बेइज्जत कर सभा से बाहर निकाल दिया।
खिलजी से मिलाया हाथ
राघव चैतन्य ने अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए राणा रावल रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मावती की खूबसूरती का बखान खिलजी से कर दिया। खिलजी ने भी पद्मावती को पाने के लिए राघव से हाथ मिला लिया।
खिलजी और रानी पद्मावती की पहली मुलाकात के बारे में आगे जानते हैं।
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आईने में देखी झलक
पद्मावती को पाने की चाह में खिलजी ने राणा रावल रतन सिंह को दोस्ती का प्रस्ताव भेजा और रानी पद्मावती से मिलने की मांग की। लेकिन रानी पद्मावती तो खिलजी के इरादों को पहले ही समझ चुकी थीं। ऐसे में वे खिलजी के सामने नहीं आईं। हालांकि खिलजी ने आईने में पद्मावती की झलक देख ली थी।
पद्मावती का जौहर
रानी पद्मावती के प्रतिबिम्ब को देखकर ही अलाउद्दीन खिलजी इतना दीवाना हो गया कि किसी भी हाल में पद्मावती को पाने के लिए आतुर हो गया। आखिर उसने जंग छेड़ दी। इस युद्ध में राणा रावल रतन सिंह की मृत्यु हो गई। पद्मावती को किसी भी हाल में खिलजी का दास बनना मंजूर नहीं था। आखिरकार उन्होंने आग में कूदकर जान दे दी।
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