महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। यह तो हम सभी जानते हैं। कौरवों और पांडवों की भूमिका महाभारत में समान रूप से महत्वपूर्ण रही है। बावजूद इसके आमतौर पर पांडवों का ही अधिक जिक्र मिलता है। इनमें युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के नाम शामिल हैं। मगर कौरव सौ थे इसलिए उनके नाम अधिकांश लोग नहीं जानते हैं। हां, दुर्योधन और दुःशासन का नाम ज्यादातर को याद है।
जब कौरव और पांडव जुआ खेल रहे थे, तब दुर्योधन के कहने पर दुःशासन ने ही पांडवों की पत्नी द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया था। यही कारण है कि जब कभी भी महाभारत का जिक्र होता है तो दुर्योधन और दुःशासन एकाएक विलन की तरह दिखाई पड़ते हैं।
अब कोई आपसे कहे कि यह जो दो नाम आप जानते हैं वो दोनों ही गलत हैं तो आप क्या कहेंगे? मगर यही सच बात है। इनके नाम के पीछे कई तरह के मत हैं। आज बात इसी मामले पर।
कौरवों का जन्म
कौरवों के पिता धृतराष्ट्र और माता गांधारी थीं। धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे। ऐसे में गांधारी ने भी पतिधर्म का पालन करते हुए आंखों पर पट्टी बांध ली थी। महर्षि व्यास ने गांधारी को सौ पुत्र होने का आशीर्वाद दिया था। लेकिन दो वर्ष तक गर्भवती रहने के बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं हुई, जबकि कुंती को पहला पुत्र हो गया था।
क्रोधित हुई गांधारी
इस बात से गांधारी क्रोधित हो गईं और उसने अपनी कोख पर जोर से प्रहार किया। इसके फलस्वरूप उसके पेट से मांस के सौ टुकड़े निकले। महर्षि व्यास आए और उन्होंने इन सौ मांसपिंडों को घी से भरे सौ घड़ों में भर दिया।
दुर्योधन के जन्म के बाद हुई यह अजीब घटना।
दुर्योधन का जन्म
इन घड़ों को बंद करके दो साल तक गाढ़कर रखा गया। दूसरे साल के अंत में पहले घड़े को खोला गया। उसमें से बच्चे को निकाला गया। यह बच्चा ही दुर्योधन था।
दी थी चेतावनी
बचपन में जब दुर्योधन रोते थे तो उनके साथ अन्य पशु-पक्षी भी बिलखने लगते थे। धृतराष्ट्र के एक सलाहकार विदुर ने उन्हें सुझाव दिया था कि यह अपशगुन है। उन्हें दुर्योधन को छोड़ देना चाहिए। लेकिन धृतराष्ट्र ने उनकी बात नहीं मानी।
आगे जानिए दुर्योधन का असली नाम।
यह है दुर्योधन का असली नाम
दुर्योधन का असली नाम सुयोधन था। कुछ लोगों का मानना है कि सुयोधन के अधर्मों के कारण उसका नाम दुर्योधन रख दिया गया।
खुद रखा यह नाम
कुछ लोगों का मत है कि दुर्योधन ने खुद ही अपना नाम बदला था। सुयोधन का मतलब 'महान योद्धा' होता है, जबकि दुर्योधन का मतलब 'जिसे कोई न हरा सके' होता है। आप समझ ही गए होंगे दुर्योधन ने अपना नाम क्यों बदला।
आगे जानिए दुःशासन का असली नाम।
दुःशासन का नाम
दुःशासन, दुर्योधन से छोटे भाई थे। दुःशासन को दुर्योधन से बहुत ज्यादा लगाव था। माना जाता है कि दुःशासन का असली नाम भी सुशासन था। लेकिन उसकी हरकतों की वजह से इसे बदल दिया गया।
अपना नाम सुनकर दुर्योधन ने दी थी ऐसी प्रतिक्रिया।
क्रोधित हुए दुर्योधन
कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि कुरुक्षेत्र में युद्ध के दौरान जब भीम ने दुर्योधन को दुर्योधन कहकर पुकारा था तो उन्होंने गुस्से में जवाब दिया था कि,"मुझे दुर्योधन मत बुलाओ, मेरा नाम सुयोधन है।"
मामा से प्रभावित
दुर्योधन को 'कलि' नाम के राक्षस का अवतार माना जाता है। दुर्योधन अपने शकुनि मामा से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। शकुनि ने ही दुर्योधन को पांडवों से युद्ध करने के लिए उकसाया था।
कुछ ऐसी थी दुर्योधन के नाम की कहानी। आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताइएगा।
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