Monday, 6 November 2017

'मक्का मदीना' में गुरु नानक का चमत्कार देख भावुक हो गए थे मुस्लिम, एक रोटी से दूध तो पकवान से निकला था खून

'मक्का मदीना' में गुरु नानक का चमत्कार देख भावुक हो गए थे मुस्लिम, एक रोटी से दूध तो पकवान से निकला था खून
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का नाम दुनियाभर में विख्यात है। सामान्य तौर पर अनुयायी उन्हें गुरु नानक, नानक देव जी, नानक शाह और बाबा नानक के नाम से भी पुकारते हैं। नानक देव ने ही भारत में सिख धर्म की स्थापना की थी। सिखों के पहले गुरु, नानक देव का जन्मदिन हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। 
दरअसल नानक देव ने समाज को सही दिशा देने में महती भूमिका निभाई थी। यही कारण है कि उनके जन्मदिवस गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के तौर पर जाना जाता है। गुरु नानक के कार्यों की बानगी बहुत लंबी है। 
आज गुरु पर्व के मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं नानक देव से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातें जो आपको हैरान कर देंगी। तो फिर देर किस बात की है। आइए जानते हैं नानक देव से जुड़ी एक कथा।

तलवंडी में हुआ जन्म 

तलवंडी में हुआ जन्म 
गुरु नानक देव का जन्म रावी नदी के किनारे तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा की रात को हुआ था। उनके पिता का नाम कल्याणचंद जी था और उनकी माँ का नाम तृप्ता देवी था।

भक्ति में लीन 

भक्ति में लीन 
नानक देव का मन बचपन से ही सांसारिक मोहमाया से बिल्कुल दूर था इसलिए पढ़ाई-लिखाई में भी उनका मन नहीं लगता था। वे केवल ध्यान और सत्संग में अपना समय बिताते थे। बचपन में भी कई बार उनके साथ कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जिसे देखने के बाद गांव वाले नानक देव को दिव्य शक्ति मानने लगे।

प्रकाश का रास्ता 

प्रकाश का रास्ता 
बचपन से ही उनकी बहन नानकी अपने भाई नानक देव पर पूरा विश्वास करती थी। बाद में नानक देव ने कई देशों की यात्रा करके अपने ज्ञान का उजियारा फैलाया। आज हम आपको उनके 'मक्का' में जाने की कथा सुनाते हैं। 

उपदेश के लिए पहुंचे 'मक्का' 

उपदेश के लिए पहुंचे 'मक्का' 
एक बार गुरु नानक देव, मुस्लिमों के तीर्थ 'मक्का-मदीना' पहुंच गए। चूंकि 'मक्का' में स्थित काबा को मुस्लिमों के खुदा का घर माना जाता है, इसलिए वहां जाना और 'काबा' के दर्शन करना हर मुस्लिम की ख्वाहिश होती है।

'काबा' की ओर पैर 

'काबा' की ओर पैर 
चूँकि उनके साथ कुछ मुस्लिम साथी भी आए हुए थे, और तो और यात्रा से सभी थके हुए थे। सूर्य भी अस्त होने वाला था। अतः नानक देव, पवित्र 'काबा' की ओर पैर रखकर सो गए। जब जिओन ने देखा कि गुरु नानक उनके पवित्र काबा की ओर पैर करके सोए हैं तो वो बहुत गुस्सा हुआ। उसने नानक देव से कहा...

"तू कौन काफिर है" 

"तू कौन काफिर है, जो खुदा के घर की तरफ पैर करके सोया है।" इस पर नानक देव ने कहा," मैं यहां पूरे दिन सफर करने के बाद थककर लेटा हूँ। मुझे नहीं मालूम खुदा का घर किधर है। तू मेरे पैर उधर कर दे, जिधर तेरे खुदा का घर ना हो।"

'काबा' ने बदली दिशा 

'काबा' ने बदली दिशा 
नानक की इस बात पर जिओन और भी ज्यादा क्रोधित हो गए। उन्होंने नानक देव के पैर पकड़ कर दूसरी दिशा में कर दिए। जब उसने पलट कर देखा तो 'काबा' भी उस दिशा में आ चुका था। जब उन्होंने किसी और दिशा में गुरु  नानक के पैर घुमाए तो 'काबा' भी उनके पैरों के साथ घूमता हुआ नजर आया। इस बात से जिओन भी डर गए। 

मांगी माफी

मांगी माफी
जिओन ने ये बात अपने हाजी और अन्य मुसलमानों को बताई तो सभी इस चमत्कार को देखकर दंग रह गए और नानक जी के कदमों में गिर गए। साथ ही अपने इस कृत्य के लिए माफी मांगी। 

जिसका आचरण शुभ वही अच्छा 

जिसका आचरण शुभ वही अच्छा 
जब इस घटना के बारे में वहां के मौलवी को पता लगा तो उसने नानक देव से पूछा, "हिन्दू अच्छा है या मुसलमान?"। इस पर उन्होंने कहा, "जन्म और जाति से कोई भी बुरा नहीं होता। वह सभी लोग अच्छे हैं जो शुभ आचरण के स्वामी हैं।"

जात-पात, ऊंच-नीच का भेदभाव   

जात-पात, ऊंच-नीच का भेदभाव   
एक बार गुरु नानक देव ने जात-पात, ऊंच-नीच को दूर करने के लिए दक्षिण और पश्चिम पंजाब का भ्रमण किया। यात्रा के दौरान वो लालू नामक एक बढ़ई के घर में रुक गए। आर्थिक रूप से कमजोर लालू के घर नानक जी के रुकने की बात पूरे गांव में आग की तरह फैल गई।

एक धनवान आदमी भी रहता था

एक धनवान आदमी भी रहता था
नानक जिस गांव में रहते थे, उसी गांव में भागो नाम का एक धनवान आदमी भी रहता था। नानक के गांव में आने की बात सुनकर उसने अपने घर साधु-संत के लिए भोज का कार्यक्रम रखा। इसमें नानक देव को भी बुलाया गया, लेकिन उन्होंने वहां जाने से साफ इनकार कर दिया।

धनवान के घर जाने को ना

धनवान के घर जाने को ना
भागो ने जब नानक जी से भोज पर ना आने की वजह जानना चाही तो इस पर नानक देव ने कहा, "मैं ऊंच-नीच में भेदभाव नहीं करता। लालू अपनी मेहनत से कमाता है जबकि तुम गरीबों और असहायों को परेशान करके पैसा कमाते हो।"

एक रोटी से दूध तो पकवान से खून

एक रोटी से दूध तो पकवान से खून
इस बात को साबित करने के लिए जब नानक जी ने एक हाथ से लालू की रोटी को और दूसरे हाथ से भागो के पकवान को निचोड़ा तो लालू की रोटी से दूध जबकि भागो के पकवान से खून निकलने लगा। इसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। इसके बाद सभी को नानक देव का संदेश भी समझ आ गया। 

No comments:

Post a Comment