एक बार फिर देश में हर तरफ फेस्टिवल सीजन की धूम है। बीते सप्ताह श्राद्ध पक्ष के चलते सन्नाटा छाया हुआ था। अब माता जी आई हैं तो गरबे की गूंज ने माहौल में उत्साह भर दिया है। नौ दिनों के बाद आएगा दशहरा। इसके बाद आएगी दिवाली। मतलब कुल मिलाकर मस्ती और धमाल का वातावरण बना रहेगा।
वैसे इस शनिवार यानी 30 सितम्बर को दशहरा मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां तो बहुत दिन पहले से ही शुरू हो चुकी हैं। इस बार भी दशहरा पर हर साल की तरह उत्साह के साथ रावण दहन होगा। हालांकि दशहरा हर स्थान पर अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।
मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान के मुल्तान में भी दशहरा मनाया जाता था। और तो और इसका तरीका भी बेहद अनोखा था। हालांकि अब मुल्तान में तो नहीं पर हमारे देश में जरूर इस तरीके से दशहरा मनाया जाता है। आज हम इसी पर बात करेंगे।
तो फिर देर किस बात की है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
पहले थी बड़ी धूम
आजादी से पहले मुल्तान में दशहरे की धूम उसी तरह होती थी, जिस तरह आज पूरे भारत में रहती है। आज भी मुल्तान में हिंदू और सिंधी लोग हैं, मगर उन्हें अब उस तरह दशहरा मनाने की आजादी नहीं हैं।
भारत में रह गया बीज
विभाजन के बाद मुल्तान से कुछ लोग भारत के रायसेन और औबेदुल्लागंज जैसी जगहों पर आकर बस गए। इन लोगों ने दशहरा मनाने की उस परंपरा को जिंदा रखा है। यही लोग कई दशकों से इन शहरों में उसी तरीके से दशहरा मना रहे हैं।
तो चलिए अब आपको बताते हैं, क्या होता है इस खास दशहरा सेलिब्रेशन में।
50 किलो का मुखौटा
बिल्कुल सही सुना आपने। दशहरे से 40 दिन पहले हनुमान बनने वाले व्यक्ति का चुनाव होता है। इस व्यक्ति को दशहरे के दिन हनुमान जी का 50 किलो वजनी मुखौटा पहनना होता है। युवक इस मुखौटे को पहनकर ही नाच-गाना करता है।
होते हैं कई नियम
जिस भी युवक को हनुमान जी बनने के लिए चुना जाता है, उसे 40 दिनों तक जमीन पर सोना, केवल दूध का सेवन करना, मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाना जैसे नियमों का पालन करना होता है। इतना ही नहीं इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना भी जरूरी होता है। इस दौरान पांच लोग इस व्यक्ति की देखभाल भी करते हैं।
इस तरह यह हनुमान करता है रावण का वध।
होता है खास श्रृंगार
इन हनुमान जी के लिए दशहरे का दिन भी कड़ी परीक्षा का होता है। उनका श्रृंगार चमेली के तेल और सिंदूर से होता है। उन्हें घुंघरू भी पहनाए जाते हैं। इस दौरान यात्रा भी निकलती है, जिसमें हनुमान जी को नंगे पैर ही चलना पड़ता है।
रावण से लड़ाई
शाम को 5 बजे शुरू होने वाली यात्रा रात 12 बजे तक चलती है। इस दौरान हनुमान जी सबसे आगे चलते हैं। फिर वो 50 किलो का मुखौटा पहनकर ही लगभग 1 घंटे तक रावण के साथ युद्ध लड़ते हैं। इस दौरान हनुमान जी में गजब का उत्साह दिखाई देता है।
आगे देखिए इस समारोह का वीडियो।
साल में दो बार
दशहरा के दिन होने वाले इस नगर भ्रमण में सिर्फ हनुमान जी ही नहीं बल्कि भक्तों में भी एक गजब का उत्साह नजर आता है। रायसेन जिले में इस तरह का उत्सवी माहौल दशहरे के अलावा रामलीला के दौरान भी देखने को मिलता है।
औबेदुल्लागंज का है यह वीडियो
इस वीडियो को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस व्यक्ति के लिए हनुमान जी बनना किसी कठोर तप से कम नहीं रहा होगा। इस समारोह को देखकर तो कोई भी श्रद्धा के भाव से भर जाएगा।
रायसेन के अलावा इन जगहों पर भी ऐसे ही मनता है जश्न।
पानीपत में भी गजब का उत्साह
पाकिस्तान की इस विरासत को हमारा देश बड़ी ही सहजता से जिंदा रखे हैं। सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं बल्कि हरियाणा के पानीपत में भी इसी अंदाज में दशहरा मनाया जाता है। यहाँ भी जगह-जगह आपको 40 दिन से उपवास रखे 50 किलो का मुखौटा पहने हनुमान जी नजर आ जाएंगे।
आप भी करें बुराई का दहन
वैसे सिर्फ इन दो-तीन शहरों में ही नहीं बल्कि बालाघाट और फरीदाबाद जैसे अन्य शहर भी इस सूची में शामिल हो रहे हैं।
आपको दशहरा मनाने का यह अंदाज पसंद आया हो तो आप अपने शहर में भी इस तरह दशहरा मनाने की शुरुआत कर सकते हैं।
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