'होमोसेक्सुअलिटी' या 'समलैंगिकता' का जिक्र होते ही लोग नजरें चुराने या मुँह बनाने लगते हैं। 'समलैंगिकता' के संबंध में भारतीय समाज में तो खुलकर बात ही नहीं की जाती है। कोई व्यक्ति अगर अपनी इस सच्चाई को अपनाना भी चाहे तो भी समाज उसे यह करने नहीं देता है।
इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 377 के अंतर्गत तो आपसी सहमति से बनाए गए अप्राकृतिक संबंध (एलजीबीटी के बीच संबंध) भी गैरकानूनी हैं। हालांकि 2009 में हाई कोर्ट ने समलैंगिको द्वारा आपसी सहमति से एकांत में बनाए गए संबंधों को वैध करार दिया था। लेकिन उसके बाद से लंबे समय से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
समाज इस तथ्य को भले ही सहजता से स्वीकार न करें, मगर समलैंगिकता और समलैंगिक संबंधों के प्रमाण तो हिन्दू धर्म के इतिहास में भी मिलते हैं। जब उस दौर में देवताओं के बीच इस तरह के संबंध मान्य थे तो हम इस बात से क्यों कतराते हैं?
वैसे हो सकता है कि आपको मेरी बातों पर पूरी तरह विश्वास नहीं हो रहा हो। मगर शायद यह पढ़ने के बाद हो जाएगा। तो फिर चलिए देर किस बात की है। आइए जानते हैं पूरी बात।
अरावन देव की कहानी
'अरावन देव' किन्नरों के देवता हैं। किन्नर साल में एक बार इनसे शादी भी करते हैं। अरावन, अर्जुन और नाग राजकुमारी उलूपी के पुत्र थे। अर्जुन ने उलूपी से विवाह किया था। उलूपी ने इनके पुत्र को जन्म दिया था। अरावन के जन्म के बाद अर्जुन इन्हें छोड़कर चले गए थे।
अर्जुन के पास आया अरावन
अब अरावन बड़ा हो गया तो वो अपने पिता अर्जुन के पास आया और पांडवों के साथ युद्ध का हिस्सा भी बना। युद्ध के दौरान अरावन अपनी बलि देने के लिए तैयार हो गया था, मगर वो अविवाहित नहीं मरना चाहता था। चूंकि अगले ही दिन मरने वाले राजकुमार को कोई अपनी बेटी तो देता नहीं। ऐसे में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अरावन से शादी की थी। इतना ही नहीं उसके साथ रात भी बिताई और अगले दिन अरावन की मौत का शोक भी मनाया। Source
जब शिव और विष्णु का हुआ मिलन।
भगवान शिव और मोहिनी का मिलन
एक बार भगवान शिव, विष्णु जी से उनका मोहिनी रूप दिखाने का अनुरोध करते हैं। जब विष्णु, मोहिनी अवतार में आते हैं तो शिव उनकी और आकर्षित होकर उनके प्रेम में पड़ जाते हैं। इन दोनों के मिलन से भी एक पुत्र का जन्म हुआ था।
हनुमान का जन्म
शिव पुराण व अन्य शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव और विष्णु के मोहिनी अवतार के मिलन से पवन पुत्र हनुमान का जन्म हुआ था। हनुमान जी को भगवान शिव का रूप माना जाता है। वाकई कुछ शास्त्रों के अनुसार वो शिव और विष्णु के अंश हैं।
नारद ने किया था ऋषि से विवाह।
नारद के साथ हुआ कुछ ऐसा
एक कथा के अनुसार एक बार नारद मुनि, भगवान विष्णु के साथ भ्रमण पर निकले थे। तभी उन्हें अचानक प्यास लगी और वो एक कुंड से पानी पीने लगे। भगवान विष्णु ने उन्हें सुझाव दिया कि वो पानी पीने से पहले इस कुंड में नहा लें। लेकिन नारद ने उनकी बात नहीं मानी और पानी पी लिया।
नारद बन गए स्त्री
इस कुंड का पानी पीकर नारद महिला बन गए थे। और तो और अपना भूतकाल भी भूल गए थे। इसी रूप में उन्होंने एक साधू से शादी की और 60 बच्चों को जन्म दिया। बाद में जब उनके पति और बच्चों की मौत हो गई तो वो फिर से नारद के रूप में लौट आए।
अगली कहानी भी मशहूर।
बुध की पत्नी इला
सुद्युम्ना नाम का एक राजा था। उसे भगवान शिव ने एक श्राप दिया था। इसके कारण वो एक महीना स्त्री और एक महीना पुरुष के रूप में रहता था। स्त्री रूप में इला के नाम से चर्चित इस राजा ने 'बुध देवता' के साथ विवाह किया था। एक पुत्र को भी जन्म दिया था। इसके बाद इला हमेशा के लिए पुरुष बन गया।
'कामसूत्र' में जिक्र
'कामसूत्र', भारत का बहुत ही प्राचीन कामशास्त्र ग्रंथ है। इसे महर्षि वात्स्यायन ने लिखा है। इस ग्रंथ में भी एक ही सेक्स के लोगों के बीच संबंधों को प्रमुखता से दिखाया गया है।
आगे देखिए साक्षात सबूत।
खजुराहो में भी सबूत
खजुराहों के मंदिर तो कामुक मूर्तियों के लिए महशूर है। इन मूर्तियों की वजह से इन मंदिरों का अलग ही महत्व है।जब उस दौर में ऐसी मूर्तियां बनाई गयी थी तो मतलब यह प्राकृतिक है। ऐसा उस दौर में भी होता था।
हम उस दौर से आगे बढ़ चुके हैं । खुद को मॉडर्न मानकर विकसित कहते हैं । बावजूद इसके इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। हमें विचार करने की जरूरत है।
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