Monday, 6 November 2017

इन 10 हिन्दू परम्पराओं के पीछे छिपे हैं वैज्ञानिक तर्क

इन 10 हिन्दू परम्पराओं के पीछे छिपे हैं वैज्ञानिक तर्क
छोटों का बड़ों के पैर छूना, महिलाओं का मांग में सिन्दूर लगाना और ब्राह्मणों का चोटी रखना तो आज 'स्वैग' वाली जनरेशन को काफी ओल्ड फैशन टाइप लगता है। वो अब पैर छूने की जगह 'हाय फाइव' करते हैं। शादी के बाद लड़कियां कभी-कभी शौक के लिए सिन्दूर लगा लेती हैं। आजकल चोटी रखने का चलन भी है मगर सिर्फ और सिर्फ 'स्वैग' के लिए।
भले ही आज की हमारी जनरेशन को ये सारी चीजें 'ओल्ड फैशन' वाली लगती हों मगर इन सभी चीजों को बिना बात के नहीं बनाया गया है बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक तर्क मौजूद हैं। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं हिन्दू परम्पराओं से जुड़ी ऐसी ही 10 बातें जिनके बारे में वैज्ञानिक तर्क तो कुछ ऐसा कहते हैं।

नमस्ते करना

नमस्ते करना
भारतीय एक-दूसरे का अभिवादन हाथ जोड़कर करते हैं। इसके पीछे दो तर्क दिए जाते हैं। पहला यह कि जब हम नमस्ते करने के लिए अपने हाथ जोड़ते हैं तो उँगलियों का आपसी संपर्क उँगलियों के टॉप पर दबाव को बढ़ाता है। इसे पैदा होने वाले एक्यूप्रेशर के कारण इसका असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है। यह हमें ज्यादा समय तक इंसान को याद रखने में मदद करता है। दूसरा तर्क यह दिया जाता है कि हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करने से हम सामने वाले व्यक्ति के संपर्क में नहीं आते हैं, जिसकी वजह से उसके कीटाणु भी हमसे दूर रहते हैं। 

मांग भरना

मांग भरना
महिलाओं के द्वारा मांग में भरे जाने वाले सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है। सिन्दूर शरीर के ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है। विधवा औरतें इसे नहीं लगातीं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सिन्दूर यौन उत्तेजनाएं बढ़ाता है।
आगे जानिये पैर छूने के पीछे क्या है वैज्ञानिक तर्क। 

माथे पर कुमकुम या तिलक लगाना

माथे पर कुमकुम या तिलक लगाना
भारत में सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी अपने माथे पर तिलक लगाते हैं। हमारी आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस माथे की बीच वाली जगह पर एनर्जी बनी रहती है। तिलक लगाने के दौरान उंगली से चेहरे की स्किन के बीच संपर्क होता है तो चेहरे की स्किन को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं। इससे चेहरे की कोश‍िकाओं में ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है।

पैर छूना

पैर छूना
हिन्दू सभ्यता के अनुसार लोग अपने बड़ों से मिलने पर उनके चरण स्पर्श करते हैं। चरण स्पर्श करने से दिमाग से निकलने वाली एनर्जी हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है।
आगे जानिये क्या है कान छिदवाने के पीछे वैज्ञानिक तर्क।

कान छिदवाना

कान छिदवाना
भारत में कान छिदवाने की परंपरा बहुत पुरानी है। दर्शनशास्त्रियों के अनुसार कान छिदवाने से इंसान की सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है। डॉक्टर्स के अनुसार इससे बोली, अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है।

जमीन पर बैठकर खाना

जमीन पर बैठकर खाना
आज भी कई परिवार के लोग जमीन पर बैठकर खाना खाते हैं। पालथी मारकर बैठने को एक योग आसन माना गया है। इस आसन में बैठकर खाने से दिमाग शांत रहता है जो पाचन क्रिया को सुधारता है।
आगे जानिये सिर पर चोटी रखने के पीछे क्या है वैज्ञानिक तर्क। 

सिर पर चोटी 

सिर पर चोटी 
भारत में सिर पर चोटी रखने का चलन बहुत पुराना है। आज भी कई ब्राह्मण चोटी रखते हैं। चोटी के बारे में माना जाता है कि जिस जगह पर चोटी रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सभी नसें आकर मिलती हैं। चोटी एकाग्रता को बढ़ाने में, गुस्से को कंट्रोल करने में और सोचने की शक्ति बढ़ाने में भी मदद करती है। 

व्रत रखना

व्रत रखना
नवरात्री हो या कोई और त्यौहार, हिन्दू धर्म में उपवास रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। आयुर्वेद के अनुसार व्रत, पाचन क्रिया को सुधारता है। व्रत में किये जाने वाले फलाहार के सेवन से शरीर में मौजूद सभी खराब चीजें बाहर निकल जाती हैं। एक रिसर्च के अनुसार व्रत रखने से कैंसर का खतरा भी कम होता है। साथ ही साथ हृदय संबंधी रोग, मधुमेह, आदि जैसी बीमारियां भी जल्द हमारे शरीर पर कब्जा नहीं कर पाती हैं। 
आगे जानिये क्यों की जाती है हिन्दू धर्म में तुलसी की पूजा।

तुलसी की पूजा

तुलसी की पूजा
कुछ साल पहले तक लगभग हर हिन्दू परिवार के आँगन में तुलसी का पौधा पाया जाता था। तुलसी के पौधे के बारे में माना जाता है कि ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है जो कई सारी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।

मूर्ती की पूजा करना

मूर्ती की पूजा करना
हिन्दू धर्म मूर्ति पूजा के लिए जाना जाता है। मूर्ती पूजा के पीछे यह वैज्ञानिक तर्क दिया जाता है कि मूर्ती दिमाग को एक जगह स्थिर रखने में मदद करती है।

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