Monday, 6 November 2017

400 साल पुराने इस मंदिर से आज भी आती हैं आवाजें, वैज्ञानिक नहीं सुलझा पाए ये पहेली

400 साल पुराने इस मंदिर से आज भी आती हैं आवाजें, वैज्ञानिक नहीं सुलझा पाए ये पहेली
भारत की गिनती देवभूमी और तपोभूमी में होती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में एक से बढ़कर एक ऐसे स्थान मौजूद हैं जहां पर कई तरह के रहस्य मौजूद हैं। ऐसा ही एक मंदिर है बिहार में। बिहार का यह मंदिर 400 साल पुराना है। इस मंदिर से लगातार आवाजें आती रहती हैं। 
जानकारी के मुताबिक इस मंदिर में काली, तारा सहित दसों महाविद्याएं मौजूद हैं। तो क्या ये मूर्तियां आपस में बात करती हैं? यह रहस्य आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक अनसुलझी पहेली के समान है। इस मंदिर को तांत्रिंको का गढ़ माना जाता है। यहां पर सुनाई पड़ने वाली आवाजें कई लोगों ने कई बार सुनी मगर उसका प्रमाण कोई नहीं दे पाया है। 
तो फिर देर किस बात की है। आइए जानते हैं यह पूरा मामला। आखिर कैसी हैं वो आवाजें? कौन सी देवी हैं यहां पर विराजमान? 

कहां है मंदिर

कहां है मंदिर
बिहार के बक्सर में हैें राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर। बताया जाता है कि यह मंदिर 400 साल पुराना है। 

आती है आवाज

आती है आवाज
लोकमान्यता है कि इस मंदिर से मूर्तियों की बात करने की आवाज आती है। आधी रात में यहां से गुजरने वाले लोगों को वो आवाजें सुनाई देती हैं।

वैज्ञानिक कर चुके हैं रिसर्च

वैज्ञानिक कर चुके हैं रिसर्च
पहले लोगों ने इसे वहम ही माना था मगर जब वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया तो उन्हें भी इस घटना पर विश्वास करना पड़ा।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों के अनुसार इस मंदिर के परिसर में कुछ शब्द गूंजते रहते हैं। वैज्ञानिकों की एक टीम ने रिसर्च करने के बाद कहा कि यह आवाज किसी व्यक्ति से नहीं आती है।

क्या अनुमान है वैज्ञानिकों का

क्या अनुमान है वैज्ञानिकों का
उनका अनुमान है कि शायद मंदिरों की बनावट के कारण यहां सूक्ष्म शब्द भ्रमण करते हैं। दिन में जो लोग बातें करते हैं, वो रात को यहां गूंजती हैं, लेकिन यह केवल उनका अनुमान है।

मंदिर के बारे में

मंदिर के बारे में
बताया जाता है कि इसकी स्थापना एक तांत्रिक भवानी मिश्र ने की थी और उनके ही वंशज आज तक इस मंदिर के पुजारी बनते आए हैं। 

क्या कहते हैं लोग

क्या कहते हैं लोग
लोगों का मानना है कि तांत्रिक शक्तियों के कारण यहां की देवियां जागृत हैं। 

सूखे मेवे का प्रसाद

सूखे मेवे का प्रसाद
भक्त यहां सप्तशती का पाठ कर मन्नत मांगते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर में सूखे मेवे का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है।

तंत्र साधना

तंत्र साधना
यह मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। यहां साधना करने देशभर से तांत्रित आते हैं।

महाविद्याओं की मूर्ति

महाविद्याओं की मूर्ति
इस मंदिर में काली, तारा, बगलामुखी माता, सहित महाविद्याओं की मूर्ति हैं। इतना ही नहीं माता के साथ दत्तात्रेय भैरव, बटुक भैरव, अन्नपूर्णा भैरव, काल भैरव व मातंगी भैरव की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।

यह है वो वजह जिसके कारण खुले में सेक्स करते हैं कुत्ते

यह है वो वजह जिसके कारण खुले में सेक्स करते हैं कुत्ते
पृथ्वी पर बहुत से जानवर, पशु, पक्षी और जीव-जन्तु हैं। सभी सहवास भी करते हैं। मगर आपने अधिकांश को खुलेआम सेक्स करते हुए नहीं देखा होगा। लेकिन कुत्तों के साथ यह समस्या जस की तस बनी हुई है। जी हां। कुत्ते तो बहुत पहले से यह काम खुले में करते नजर आते हैं। आखिर क्या है इसकी वजह?
क्या आपको पता है कि कुत्तों के द्वारा खुलेआम सहवास किए जाने को लेकर भी एक किवदंती है। इन लोककथाओं के मुताबिक कुत्ते, द्रौपदी के श्राप के कारण खुले में ही सहवास करते हैं। हालांकि इसका कोई प्रमाण नहीं है। फिर भी ऐसा कहा जाता है तो सभी मानते हैं। 
बहरहाल, आज हम आपको बताएंगे इस श्राप के पीछे के कारण। एक पल के लिए तो आप खुद चौंक जाएंगे।

महाभारत काल की है बात

महाभारत काल की है बात
यह बात महाभारत काल की है। महाभारत में कौरव-पाण्डवों की बीच हुई 18 दिनों की लड़ाई के अलावा और भी बहुत कुछ है जो आप जानकर हैरान रह जाएंगे। इनमें कौरव-पाण्डव के जीवन से जुड़ी बातें भी शामिल हैं।

पाण्डवों के साथ शादी

पाण्डवों के साथ शादी
स्वयंवर जीतने के बाद पाण्डव जब द्रौपदी को घर ले आए तो अर्जुन ने माता कुंती से कहा कि, 'देखिए माता हम क्या लाए हैं?' चूंकि कुंती भी किसी काम में व्यस्त थीं। ऐसे में उन्होंने बिना देखे ही कह दिया कि, 'जो भी लाए हो पांचों भाई बांट लो।' हालांकि बाद में जब उन्होंने द्रौपदी को देखा तो वो खुद हैरान थीं कि यह मैंने क्या कह दिया। अब पांडव तो अपनी मां की हर बात मानते थे। ऐसे में पांचों ने ही  द्रौपदी को पत्नी के तौर पर स्वीकार कर लिया। 
चलिए आगे जानते हैं कि द्रौपदी ने कुत्तों को श्राप क्यों दिया।

नियम बनाया

नियम बनाया
इसके बाद यह नियम बनाया गया कि द्रौपदी हर साल एक पाण्डव के साथ रहेंगी। दूसरा जब कभी भी द्रौपदी किसी भाई के साथ कमरे में होंगी तो कोई और उस कमरे में प्रवेश नहीं करेगा।

एकांत की पहचान

एकांत की पहचान
नियम के मुताबिक जब द्रौपदी जिस भाई के साथ एकांत कक्ष में रहती थीं तो उसकी चरण पादुकाएं कमरे के बाहर रखी होती थी। यह एक तरह का संकेत था कि द्रौपदी अपने पति के साथ कमरे में हैं। इस दौरान दूसरा कोई उस कमरे में प्रवेश ना करें।
आगे पढ़िए किसने देखा द्रौपदी को अंतरंग स्थिति में।

अर्जुन ने किया कक्ष में प्रवेश

अर्जुन ने किया कक्ष में प्रवेश
एक बार द्रौपदी, युधिष्ठर के साथ कमरे में मौजूद थीं। तभी अचानक से अर्जुन कक्ष में प्रवेश कर गए और दोनों को अंतरंग अवस्था में देख लिया। युधिष्ठर और द्रौपदी ने अर्जुन से पूछा कि, 'क्या आपको कक्ष के बाहर रखीं युधिष्ठर की पादुकाएं नहीं दिखीं?' तो अर्जुन ने कहा कि,'नहीं'।

कुत्ता ले गया था पादुकाएं

कुत्ता ले गया था पादुकाएं
जब युधिष्ठर, अर्जुन और द्रौपदी ने पादुकाएं खोजने की कोशिश की तो देखा कि पादुकाओं को एक कुत्ता उठाकर ले गया था। इससे द्रौपदी बेहद क्रोधित हुईं। तभी उन्होंने कुत्तों को श्राप दिया कि 'जिस तरह मुझे अर्जुन ने अंतरंग अवस्था में देख लिया है, उसी तरह तुम भी खुलेआम सहवास करोगे। लोग तुम्हें देखेंगे।'

अर्जुन को जाना पड़ा वनवास

अर्जुन को जाना पड़ा वनवास
बताया जाता है कि युधिष्ठर और द्रौपदी के कक्ष में जाने पर नियम के अनुसार अर्जुन को वनवास भी जाना पड़ा। 

एक किवदंती यह भी 

एक किवदंती यह भी 
हालांकि अर्जुन के वनवास को लेकर एक कथा यह भी है कि, एक गरीब व्यक्ति रोता हुआ अर्जुन के पास आया और बोला, 'डाकू मेरी गाय ले गए। मेरी मदद कीजिए।' अब सारे अस्त्र-शस्त्र तो युधिष्ठर के कक्ष में थे। ऐसे में अर्जुन बिना देर किए कमरे में प्रवेश कर गए। अब चूंकि अर्जुन ने युधिष्ठर और द्रौपदी को देख लिया था। ऐसे में उन्हें वनवास के लिए जाना पड़ा।

कुत्ते करते हैं खुले में सहवास

कुत्ते करते हैं खुले में सहवास
दंतकथाओंं और किवदंतियां में कुत्तों के खुलेआम सहवास करने की वजह द्रौपदी का श्राप बताया जाता है। कुछ जगह लोककथाओं में कहा जाता है कि युधिष्ठर और द्रौपदी को अंतरंग अवस्था में भीम ने देखा था।

तो ये हैं कारण

तो ये हैं कारण
अर्जुन के वनवास की कहानी जो भी हो मगर दंतकथाओं में तो कुत्तों के खुलेआम सहवास का कारण द्रौपदी का श्राप बताया जाता है। 
सोर्स- स्पीकिंगट्री

हमारे पूर्वज नहीं थे कूलनेस में पीछे, सदियों पहले भी इस्तेमाल करते थे ये 10 मॉडर्न चीजें

हमारे पूर्वज नहीं थे कूलनेस में पीछे, सदियों पहले भी इस्तेमाल करते थे ये 10 मॉडर्न चीजें
हमारे भारत में ऐसा कोई इंसान नहीं पाया जाता है जिसने बचपन में शरारत करने पर अपने पैरेंट्स या साथियों से ये न सुना हो कि "तुम जिस स्कूल में पढ़ते हो, उसके हम हेडमास्टर रह चुके हैं।" उनका मतलब यही होता है कि तुम ये जो चीजें कर रहे हो न, हम करके छोड़ चुके हैं। हम उनकी बात पर यकीन करें या न करें, मगर सदियों पहले हमारे पूर्वजों ने उन मॉडर्न चीजों को ईजाद जरूर कर लिया था जिनका इस्तेमाल हम आज के समय करते हैं। हाँ वो बात अलग है कि जिन चीजों का हम इस्तेमाल करते हैं वो थोड़ी ज्यादा कूल नजर आती हैं। 
आज हम ऐसी ही कुछ तस्वीरें इंटरनेट से ढूंढकर लाए हैं जिन्हें देखने के बाद आप भी मान जाएंगे कि पहले के लोग काफी मॉडर्न हुआ करते थे।

10. प्लास्टिक सर्जरी

10. प्लास्टिक सर्जरी
शरीर के अंगों में सुधार करने की सदियों पुरानी है। इजिप्ट में सालों पहले इस तरह के नकली अंगूठे का इस्तेमाल किया जाता था। भारत में भी 800 BC में डॉक्टर्स, माथे या गाल की स्किन निकालकर नाक का शेप ठीक किया करते थे। 

9. बैटरी

9. बैटरी
पावर पैदा करने वाली बैटरीज की खोज 2500 BC में की गई थी। बगदाद बैटरी में चीनी मिट्टी का एक पॉट इस्तेमाल किया जाता था जिसमें तांबे के ट्यूब में आयरन रॉड डाली जाती थी। ये डिवाइस कुछ वोल्ट बिजली पैदा करने में सक्षम था। 
आगे जानिये 420 BC में कैसी होती थी अलार्म घड़ी।

8. आग फेंकने वाला शस्त्र 

8. आग फेंकने वाला शस्त्र 
आग फेंकने वाला शस्त्र 420 BC के आस-पास ईजाद किया जा चुका था। डेलियम के युद्ध में इसका इस्तेमाल भी किया गया था। 

7. अलार्म घड़ी

7. अलार्म घड़ी
पहली अलार्म घड़ी 400 BC में गीक फिलॉसफर प्लेटो के द्वारा ईजाद की गई थी। वो उस समय एक पानी से चलने वाली घड़ी का इस्तेमाल किया करते थे जो साउंड सिंग्नल पैदा कर उन्हें लेक्चर का समय याद दिलाती थी। 
आगे जानिये 323 BC के रोबोट के बारे में। 

6. रोबोट 

6. रोबोट 
मॉडर्न रोबोट और उसके प्रोटोटाइप 323 BC में बनाए जा चुके थे। ये महिला के अकार के रोबोट्स थे जो Pharos के आइलैंड के लाइट हाउस पर बनाए गए थे। ये दिन के समय एक निश्चित अंतराल के बाद घंटी बजाते थे और रात के समय जलस्तर बढ़ने पर आवाज निकालते थे। 

5. ऑटोमेटिक खुलने वाले दरवाजे

5. ऑटोमेटिक खुलने वाले दरवाजे
ग्रीस में पहली सदी में ही ऑटोमेटिक खुलने वाले दरवाजों की खोज हो गई थी। उस समय भाप को नली के सहारे दरवाजे की चौखट तक पहुँचाया जाता था जिससे वो खुल जाते थे। इस तकनीक का इस्तेमाल जादू दिखाने के लिए किया जाता था। इसका फायदा प्रीस्ट (चर्च के पुजारी) भी उठाते थे। 
आगे जानिये कैसा था 100 BC का कंप्यूटर।

4. कंप्यूटर

4. कंप्यूटर
100 BC में बनाए गए 'The Antikythera' नाम के मेकेनिज्म को सबसे पुराना कंप्यूटर माना जाता है। इस डिवाइस से खगोलीय पिंड की स्थिति जानने के साथ-साथ चंद्र और सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी भी की जाती थी। इसका एक और इस्तेमाल ओलम्पिक खेलों में डेट की गणना में भी किया जाता था। 

3. चश्मा

3. चश्मा
Inuit द्वारा दसवी शताब्दी में आँखों की सुरक्षा करने के लिए चश्मे की खोज की गई थी। हालांकि उस समय इसमें कांच नहीं होता था। कांच वाले चश्मे का इस्तेमाल सबसे पहले 12वीं सदी में चाइना में किया गया था। 
आगे दो और बेहतरीन चीजें बाकी हैं। 

2. स्पेस सूट

2. स्पेस सूट
स्पेन में एक 300 साल पुरानी मूर्ति हूबहू स्पेस सूट जैसी ड्रेस पहने हुए है। इस तस्वीर ने भी कई थ्योरीज को जन्म दिया है। क्या वाकई उस समय भी लोग स्पेस सूट पहनकर अंतरिक्ष में जाते थे? 

1. स्मार्टफोन

1. स्मार्टफोन
अमेरिकन आर्टिस्ट Umberto Romano द्वारा 1933 में बनाई गई पेंटिंग में एक अमेरिकन हाथ में स्मार्टफोन जैसी चीज लिए हुए है। हो सकता है कि ये शायद कुछ और हो, मगर देखने में तो यह बिलकुल स्मार्टफोन ही लग रहा है।