भारत की गिनती देवभूमी और तपोभूमी में होती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में एक से बढ़कर एक ऐसे स्थान मौजूद हैं जहां पर कई तरह के रहस्य मौजूद हैं। ऐसा ही एक मंदिर है बिहार में। बिहार का यह मंदिर 400 साल पुराना है। इस मंदिर से लगातार आवाजें आती रहती हैं।
जानकारी के मुताबिक इस मंदिर में काली, तारा सहित दसों महाविद्याएं मौजूद हैं। तो क्या ये मूर्तियां आपस में बात करती हैं? यह रहस्य आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक अनसुलझी पहेली के समान है। इस मंदिर को तांत्रिंको का गढ़ माना जाता है। यहां पर सुनाई पड़ने वाली आवाजें कई लोगों ने कई बार सुनी मगर उसका प्रमाण कोई नहीं दे पाया है।
तो फिर देर किस बात की है। आइए जानते हैं यह पूरा मामला। आखिर कैसी हैं वो आवाजें? कौन सी देवी हैं यहां पर विराजमान?
कहां है मंदिर
बिहार के बक्सर में हैें राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर। बताया जाता है कि यह मंदिर 400 साल पुराना है।
आती है आवाज
लोकमान्यता है कि इस मंदिर से मूर्तियों की बात करने की आवाज आती है। आधी रात में यहां से गुजरने वाले लोगों को वो आवाजें सुनाई देती हैं।
वैज्ञानिक कर चुके हैं रिसर्च
पहले लोगों ने इसे वहम ही माना था मगर जब वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया तो उन्हें भी इस घटना पर विश्वास करना पड़ा।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों के अनुसार इस मंदिर के परिसर में कुछ शब्द गूंजते रहते हैं। वैज्ञानिकों की एक टीम ने रिसर्च करने के बाद कहा कि यह आवाज किसी व्यक्ति से नहीं आती है।
क्या अनुमान है वैज्ञानिकों का
उनका अनुमान है कि शायद मंदिरों की बनावट के कारण यहां सूक्ष्म शब्द भ्रमण करते हैं। दिन में जो लोग बातें करते हैं, वो रात को यहां गूंजती हैं, लेकिन यह केवल उनका अनुमान है।
मंदिर के बारे में
बताया जाता है कि इसकी स्थापना एक तांत्रिक भवानी मिश्र ने की थी और उनके ही वंशज आज तक इस मंदिर के पुजारी बनते आए हैं।
क्या कहते हैं लोग
लोगों का मानना है कि तांत्रिक शक्तियों के कारण यहां की देवियां जागृत हैं।
सूखे मेवे का प्रसाद
भक्त यहां सप्तशती का पाठ कर मन्नत मांगते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर में सूखे मेवे का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है।
तंत्र साधना
यह मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। यहां साधना करने देशभर से तांत्रित आते हैं।
महाविद्याओं की मूर्ति
इस मंदिर में काली, तारा, बगलामुखी माता, सहित महाविद्याओं की मूर्ति हैं। इतना ही नहीं माता के साथ दत्तात्रेय भैरव, बटुक भैरव, अन्नपूर्णा भैरव, काल भैरव व मातंगी भैरव की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।