हिंदू धर्म में 'रामायण' और 'महाभारत' का एक खास स्थान है। कुरुक्षेत्र में पांडवों और कौरवों के बीच हुआ युद्ध हो या लंका में हुआ राम और रावण का संघर्ष। दोनों ही बातों से आमजन को कई तरह की सीख मिलती है। पुराणों में इसका उल्लेख भी है। तभी तो कहा जाता है कि 'महाभारत' हो या 'रामायण', इनमें सिर्फ युद्ध ही नहीं है बल्कि कई तरह की सीख भी है।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान भी इसी दौरान दिया था। यह आज भी प्रासंगिक है। लंबे समय तक बना रहेगा। इसमें 1 लाख श्लोक हैं। यही कारण है कि 'महाभारत' को महाकाव्य भी कहा जाता है। इसमें एक पूरी दुनिया समाए हुई है।
आमजन भी इसके बारे में ज्यादा भले ही नहीं जानते हों मगर उन्होंने भी पांडव, कौरव, भीम, अर्जुन, भीष्म, श्रीकृष्ण, द्रौपदी आदि नाम तो सुने ही होंगे। बावजूद इसके आज हम आपको जो बताने वाले हैं वो जानकर आप भी चौंक जाएंगे। जी हां। बात ही कुछ ऐसी है।
पांडवों से जुड़ी यह बात किसी को भी चौंका सकती है। तो फिर देर किस बात की है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
पांडवों के पिता पांडु
पांडु अंबालिका और व्यास के पुत्र थे। आगे जाकर पांडु हस्तिनापुर के जिम्मेदार राजा साबित हुए। उनके शासन में हस्तिनापुर ने खूब तरक्की की। पांडु ने भीष्म पितामह से ही धनुर्विद्या, राजनीति, शासन और धर्म की शिक्षा ली थी।
जंगल में पांडु
एक बार पांडु जंगल में शिकार करने गए थे। तभी उनकी नजर एक संबंध बनाते हिरण के जोड़े पर पड़ी। पांडु ने उन पर तीर से वारकर उनकी हत्या कर दी। लेकिन असल में वो जोड़ा ऋषि किंदम और उनकी पत्नी थी, जो प्रेमक्रीड़ा में मग्न थे।
ऋषि ने पांडु को दिया यह श्राप।
पांडु को मिला श्राप
पांडु अपनी गलती मानने के बजाए ऋषि किंदम से बहस करने लगे। क्रोधित होकर ऋषि किंदम ने पांडु को श्राप दिया कि जब भी वो संबंध बनाने अपनी किसी रानी के पास जाएंगे, उनकी मृत्यु हो जाएगी। निराश होकर पांडु घर लौट आए।
पांडु की थीं दो पत्नियां
पांडु ने सबसे पहले कुंती से शादी की थी। उसके बाद उसने माद्रा की राजकुमारी माद्री को भी अपनी पत्नी बनाया।कुंती के तीन पुत्र युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन थे, जबकि माद्री के दो पुत्र नकुल और सहदेव थे।
लेकिन श्राप के चलते यह संभव कैसे हुआ? आइए जानते हैं।
ऐसे हुआ पांडवों का जन्म
दरअसल पांडवों का जन्म पांडु के वीर्य या कुंती और माद्रा की कोख से नहीं हुआ था। पांडु की विनती पर उनकी पत्नियों ने भगवान से प्रार्थना कर अपने पुत्रों को पाया था।
पांडवों के असली पिता
पांडवों की माताएं तो कुंती और माद्रा ही थीं। मगर युधिष्ठिर के पिता धर्म, भीम के पिता वायु देव, अर्जुन के पिता इंद्र देवता और नकुल-सहदेव के पिता नासत्य और दसरा थे। ये दोनों जुड़वां थे।
आगे जानिए पांडवों ने पांडु का मांस क्यों खाया?
खाया पिता का मांस
भले ही पांडव पांडु के जैविक पुत्र नहीं थे। मगर पिता तो पिता ही होता है। लेकिन हम आपको बता दें कि इसमें पांडवों की कोई गलती नहीं थी, क्योंकि ऐसा तो खुद उनके पिता पांडु ही चाहते थे।
पुत्रों को मिले ज्ञान
चूंकि पांडु पांडवों के जैविक पिता नहीं थे, इसलिए उनका ज्ञान और गुण उनके पुत्रों में स्थानांतरित नहीं हुए थे। लेकिन पांडु चाहते थे कि ऐसा हो इसलिए उन्होंने मरने से पहले वरदान मांगा कि जब उनके बच्चे उनका मांस खाए तो उनका ज्ञान बच्चों को भी मिल जाए।
आगे जानिए सहदेव सबसे बुद्धिमान कैसे हुए?
इससे जुड़ी दो मान्यता
सहदेव पांडवों में सबसे बुद्धिमान थे। एक मान्यता के अनुसार ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने सबसे ज्यादा मांस खाया था। दूसरी मान्यता यह कि उन्होंने पिता के मस्तिष्क के तीन हिस्से खाए थे। पहला हिस्सा खाने पर सहदेव को भूतकाल, दूसरा खाने से वर्तमान और तीसरा हिस्सा खाने पर भविष्य का ज्ञान हो गया था।
देख लिया था महाभारत का युद्ध
चूंकि सहदेव भविष्य भी देख सकते थे, इसलिए उन्होंने महाभारत के युद्ध का परिणाम भी देख लिया था। लेकिन भगवान कृष्ण ने सहदेव को श्राप दिया था कि यदि उसने यह राज किसी को बताया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। ऐसे में सहदेव ने यह राज हमेशा राज ही रखा।
महाभारत से जुड़ी और भी कोई कहानी जानना चाहते हैं तो हमें बताइएगा जरूर।
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